जितनी जानकारी आप चिकित्सा ,चिकित्सकों एवं दवाओं के विषय में रखते हैं कम से कम उतनी जानकारी आप ज्योतिषविज्ञान,ज्योतिष वैज्ञानिकों एवं उनके उपायों के विषय में भी रखिए तो कभी धोखा नहीं खाओगे !
बंधुओं ! मेरा आप सभी लोगों से
निवेदन है कि ज्योतिष को आधी अधूरी श्रद्धा से मानना है तो ज्योतिष को
मानना ही बंद कर दीजिए और अगर मानना है तो कम से कम ज्योतिष के बारे में
भी इतनी जानकारी आप स्वयं भी रखा कीजिए जितनी मेडिकल के विषय में आप रखते
हैं जैसे मेडिकल में आप सरकार द्वारा प्रमाणित डिग्री होल्डर डॉक्टरों के
विषय में जानकारी रख लेते हैं कि MD. MBBS. आदि हमें किस बीमारी के लिए
किस डिग्री वाले डॉक्टर के पास जाना चाहिए अन्यथा यदि किसी झोला छाप को
गलती से या विश्वास से आप डॉक्टर मान बैठे हैं तो ये आपका विषय है यदि उस
झोला छाप डाक्टर से कोई गलती होती है तो उसका प्रतिफल तो आपको ही भुगतना पड़ता
है किन्तु ये बात आपको पता होती है कि गलती इसमें हमारी है हमें झोला छाप
डाक्टर के पास नहीं जाना चाहिए था तो आप दुबारा के लिए सबक लेते हैं
!किन्तु ज्योतिष में आप ऐसा क्यों नहीं करते हैं ज्योतिष के प्रति अपनी आधी
अधूरी जानकारी लेकर अपनी आधी अधूरी श्रद्धा लेकर आधे अधूरे ज्योतिषियों के
पास पहुँच जाते हैं और वहाँ से आधी अधूरी जानकारी लेकर अपने काम को आगे
बढ़ा देते हैं वह काम आधी अधूरी जगह धोखा दे जाता है तब आप सम्पूर्ण ज्योतिष
को जिम्मेदार मानने लगते हैं जो आपकी सबसे बड़ी भूल होती है आप स्वयं सोचिए
कि जब आप किसी ज्योतिष वैज्ञानिक के पास गए ही नहीं तो ज्योतिष विज्ञान का
लाभ आपको मिलता कैसे !इसलिए ज्योतिष संबंधी कार्यों के लिए आप यहाँ संपर्क करें ! seemore...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_10.html
इसलिए यदि इस प्रकार से
अनास्था पूर्वक ही ज्योतिष शास्त्र को मानना है तो मत मानिए क्योंकि इससे
आपका भी नुक्सान होता है और शास्त्र का अपयश तो होता ही है ।
इसलिए सबसे पहले जानने का प्रयास
कीजिए कि ज्योतिष शास्त्र वास्तव में है क्या !आम ज्योतिष व्यापारियों
में और ज्योतिष वैज्ञानिकों में अंतर क्या है
ऐसे समस्त प्रकार के
पाखंडियों से बचने का एक मात्र रास्ता है कि आप को भी पता होना चाहिए कि सरकार द्वारा
प्रमाणित संस्कृत विश्व विद्यालयों में ज्योतिष डिपार्टमेंट होता है
जिसमें ज्योतिष विषय को पढ़ाने वाले रीडर प्रोफेसर आदि होते हैं जिनकी
सैलरी सामान्य विश्व विद्यालयों की तरह ही होती है और पढ़ाई भी सामान्य
विश्व विद्यालयों की तरह ही होती है ज्योतिष विषय में डिग्रियाँ भी उसी
प्रकार से मिलती हैं अंतर केवल इतना होता है कि बी.ए. को शास्त्री एवं
एम.ए. को आचार्य कहते हैं ज्योतिष विषय में एम.ए. करने का मतलब होता है
ज्योतिषाचार्य ! आज कितने बिना पढ़े लिखे लोग अपने नाम के साथ ज्योतिषाचार्य लगाने लगते हैं समाज
की अनभिज्ञता का वो लाभ उठाते हैं ये तो रही एक बात दूसरी बात ये है कि अब
आप स्वयं सोचिए कि 9-10 वर्षों में ज्योतिषाचार्य और कम से कम तीन वर्ष
में Ph.D. अर्थात कम से कम 13 वर्षों की शिक्षा को कुछ लोग छै महीने में पढ़ाने
का नाटक करते हैं कुछ तो केवल शनिवार रविवार एक एक घंटे बेवकूफ बनाकर पैसे
ले लेते हैं और पकड़ा देते हैं उसे ज्योतिषी होने का एक प्रमाण पत्र
किन्तु ये तो धोखा धड़ी है !इसलिए ज्योतिष वैज्ञानिकों से इस प्रकार की
अपेक्षा तो नही ही की जानी चाहिए और न ही उन्हें धन देने में कंजूसी ही
करनी चाहिए !
मेरी निजी राय है कि यदि किसी
को रोगी के विषय में ज्योतिष वैज्ञानिक की अपेक्षा डाक्टर पर ही सबसे
अधिक विश्वास है तो उसे हजार पाँच सौ रूपए खर्च करके ज्योतिष को बदनाम नहीं
करना चाहिए अपितु उसे डाक्टर पर ही पूर्ण विश्वास करना चाहिए !
इसी प्रकार से शादी विवाह
आदि में सारे उत्सव को मनाने में पूरा धन खर्च किया जाएगा यहाँ तक कि बाजा
,घोड़ी आदि वालों पर खर्च करने में पूरी रूचि रहेगी ,हिजड़ों तक पर पूर्ण
व्यय किया जाएगा किन्तु ज्योतिष पर खर्च करते समय ऐसे लोग कंजूसी करते हैं
उसके दो परिणाम होते हैं पहला तो जो ज्योतिषी नाम के भिखारी होते हैं वो भी
हिजड़ों की तरह प्रशंसा करके माँग मूँग लेते हैं कुछ खुशी से ,दूसरे जो
ज्योतिष नाम के व्यापारी हैं वो भय देकर निकाल लेते हैं बहुत कुछ !यदि ऐसा
नहीं करोगे तो वैसा हो जाएगा आदि आदि किन्तु जो वास्तव में ज्योतिष वैज्ञानिक हैं वो न
तो प्रशंसा करते हैं और न भय देते हैं अपितु किनारा कर लेते हैं या फिर काम में कटौती कर देते हैं जिससे
परिणाम में कटौती होनी स्वाभाविक है !
इसलिए मेरा निवेदन मात्र
इतना है कि जिस पर निष्ठा हो उसी पर खुल कर खर्च करे और उसी से परिणाम की
आशा रखें बीच में ज्योतिष को बदनाम करना ठीक नहीं है !
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