शास्त्रीय मर्यादाओं में बँधे ज्योतिष वैज्ञानिकों का महत्त्व समझे बिना उनके पास जाना ही नहीं चाहिए !

   विद्वान ज्योतिष वैज्ञानिकों के साथ पंडितों पुजारियों जैसा अभद्र वर्ताव नहीं करना चाहिए और न ही उनके साथ इनकी तुलना ही की जानी चाहिए ! 

   जो लोग ज्योतिषी की योग्यता एवं अपने काम की आवश्यकता के अनुशार ज्योतिष वैज्ञानिक को धन देते हैं वो कभी धोखा नहीं खाते हैं।कुछ लोग ज्योतिषियों से काम तो बहुत महत्वपूर्ण लेना चाहते हैं किन्तु उसे साधारण सा करके इसलिए बताना चाहते हैं ताकि अपनी वास्तविकता ज्योतिषी को पता न लगे दूसरी बात कि अधिक दक्षिणा न देनी पड़े किन्तु यह  दक्षिणाचोरी उनका कितना बड़ा नुकसान कर देती है इसका अनुमान उन्हें पहले नहीं लग पाता है जब लग पाता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है !किसी के धन का नुकसान होगा तो वो करोड़ों में बताते हैं फिर पछतावा होता है,किसी के जान माल का नुकसान हो जाता है बाद में बोलते हैं पैसे की क्या कीमत थी ठीक तो हो जाता ! किसी के मकान, पद, प्रतिष्ठा या बेटा बेटी के काम काज में और  किसी की बीमारी आरामी का प्रश्न हो कोई बताएगा कोई बताएगा करोड़ का नुक्सान हुआ कोई दस करोड़ का किन्तु ज्योतिषी का तो उतना ही नुक्सान हुआ जितना उसे दिया जाता है तो उतने पैसे का तो वो झूठ बोल ही चुका होता है     यह मामला बहुत लोग ज्योतिषियों के सामने उसे ऐसा करके बताते एवं दक्षिणा देते हैं जैसे साधारण सा काम हो तो ज्योतिषी भी उसे साधारण ही समझकर साधारण प्रकार से देख लेता है किन्तु जब वो काम बिगड़ जाता है तब लोग लाखों करोड़ों अरबों का नुक्सान  बताते हैं !

 जो लोग पर्याप्त धन देते हैं उनका नुक्सान नहीं होने पाता क्योंकि उनके काम के लिए जितने परिश्रम की आवश्यकता होती है ज्योतिष विद्वान उतना परिश्रम करने में हिचकता नहीं है अर्थात स्वयं करे  या किसी और को धन देकर उससे करवा सकता है किन्तु दरिद्रों के बिषय में ज्योतिष वैज्ञानिक भी क्या करे ! 

डाक्टर इंजीनियर बनने वालों की अपेक्षा कोई  ज्योतिष विद्वान अपनी शिक्षा में कम परिश्रम  नहीं करता है फिर उसकी विद्या का सम्मान क्यों न किया जाए !और उसकी तुलना फर्जी झोलाछाप ज्योतिषियों से क्यों करनी !

जो लोग ज्योतिष वैज्ञानिकों के साथ ज्योतिषीय भिखारियों जैसा वर्ताव करते हैं वो अपने पैरों में स्वयं कुल्हाड़ी मारते हैं क्योंकि जिन विपदाओं से वो पैसे खर्च करके बच भी सकते हैं उन्हें भी भोगते हैं! जो धन जिसके अपने काम न आया अपने पत्नी बच्चों के काम न आया उस धन को गधे की पीठ पर लदा हुआ बोझा ही समझना चाहिए  !

 एक से एक करोड़पति लोगों को अपनी आँखों से मैंने ज्योतिषियों से नुकसान उठाते हुए देखा है ज्योतिषियों से जब बाद में पूछा कि  ऐसा क्यों किया तो वो कह देते हैं कि तुम्हारी कंजूसी के कारण यह करना मेरी मजबूरी थी ! इसलिए मैं चाहता हूँ कि समाज या तो ज्योतिष को मानना बंद करे या फिर ज्योतिष का श्रद्धा से सम्मान करे !        

भविष्य सम्बंधित किसी भी प्रकार की जानकारी पाने के लिए ज्योतिष शास्त्र के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है कुछ लोग अनुमान लगाकर कुछ बोल दें वो एक अलग बात है वैसे प्रमाणित विधा तो ज्योतिष ही है! बीमारी, व्यापार, विवाह, वास्तु, शिक्षा, संतान आजीविका के साधन मुकदमा आदि से जुड़े प्रश्नों के विषय में ज्योतिष शास्त्रीय शंका समाधान के लिए कैसे और किससे संपर्क किया जाए ?

इसमें दो प्रकार की कठिनाई आती है पहली बात तो ज्योतिष शास्त्र को विषय के रूप में जिसने किसी प्रमाणित सरकारी विश्व विद्यालय से पढ़ा हो और दूसरी बात वो हमारे ज्योतिषीय प्रश्न का सही सही उत्तर दे ! इसके लिए ऐसे विद्वान खोजे कहाँ जाएँ और उनकी पहचान कैसे हो ये विज्ञापन का युग है टी वी चैनलों पर या और कहीं अक्सर बहुत सारे लोग क्लेम करते देखे जा सकते हैं कि उन्होंने ज्योतिष में रिसर्च की है बनारस से पढ़ा है या उनके जैसा विद्वान ज्योतिषी धरती पर कोई दूसरा नहीं है किन्तु जब छानबीन की गई तो पता लगा रेलवे या बैंक में काम करते करते वो अचानक ज्योतिषी हो गए हैं ऐसे लोग नग नगीने यंत्र तंत्र ताबीज बेचकर बहुत पैसे कमा लेते हैं किन्तु ऐसे लोग समाज के साथ ज्योतिष के नाम पर धोखा करते हैं !

दूसरी कठिनाई समाज की तरफ से ये आती है कि वो योग्य ज्योतिष वैज्ञानिकों के पास पहुँचकर भी अपनी दरिद्रता और कंजूसी के कारण उसे वो पारिश्रमिक नहीं दे पाते हैं जो दिया जाना चाहिए जिससे वो विद्वान उतना परिश्रम नहीं करते हैं जितना किया जाना उचित है।

जिस घर में जिसे रहना है उसके विषय में ,अपने किसी स्वजन की बीमारी के विषय में,विवाह और संतान के विषय में ऐसे स्थलों पर जहाँ ज्योतिष वैज्ञानिक की सामान्य चूक भी भारी नुक्सान कर सकती है वहाँ दरिद्रता और कंजूसी करने का मतलब है कि नुक्सान करने की तैयारी करके चल रहे हैं कई बार ऐसी लापरवाही वो लोग करते हैं जो धन संपन्न हैं तो लगता है कि इनका धन जब इनके घर वालों को सुख देने के लिए नहीं है तो ज्योतिष वैज्ञानिक की ही सारी जिम्मेदारी कैसे कही जा सकती है।

आपने भी देखा होगा कि मकान या विवाह के विषय में दलाली करने वाले लोग हजारों लाखों रूपए ले लेते हैं किन्तु जिस पर भविष्य टिका हुआ है उस ज्योतिष वैज्ञानिक को कृपा पूर्वक भिक्षा समझकर कुछ दे दिया जाए तो उससे भी न्याय और ईमानदारी पूर्वक काम करने की आशा नहीं की जानी चाहिए !

इसी प्रकार से शादी में बाजा वाले ,घोड़ी वालों तक पर अच्छा खर्च किया जाता है किन्तु ज्योतिष वैज्ञानिक के लिए दरिद्रता और कंजूसी !ये गलत है !इससे अपना नुक्सान होता है। 


  


No comments:

Post a Comment