mental health अर्थात मनोरोगियों के लिए ज्योतिष किसी वरदान से कम नहीं है किन्तु कैसे ?

  मनोरोगी की चिकित्सा के साथ साथ उसे स्वस्थ करने में  ज्योतिष एवं तंत्र की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है जिसकी उपेक्षा करने का अर्थ है मनोरोग की अधूरी चिकित्सा !जिसमें ज्योतिष की भूमिका को तो कैसे भी इंकार नहीं किया जा सकता है ।
     बंधुओ ! मनोरोग यदि जन्म से ही न हो तो अकारण बहुत कम होता है इसका कोई न कोई कारण जरूर बनता है , मनोरोग वस्तुतः ईच्छा ,भाग्य और कर्म का खेल है अर्थात जो चीज भाग्य में बदी ही नहीं है वो या तो उस चीज को पाना ही चाहता है किन्तु वो उसे  मिल नहीं पा रही है और वो उसके लिए तड़प रहा है ।इसप्रकार से अभिलषित व्यक्ति या वस्तु प्रयास करने पर भी नहीं मिले तो मानसिक तनाव होना स्वाभाविक ही है ।जैसे -किसी को अच्छा घर खरीदने की इच्छा है जिसके लिए  उसे पचास लाख  रूपए चाहिए किन्तु यदि उसके भाग्य में घर का सुख नहीं लिखा है तो पहली बात तो उसके पास इतने पैसे इकठ्ठा नहीं हो पायेंगें जिससे वो अपनी इच्छानुशार घर खरीद सके दूसरी बात यदि पैसे हो भी जाएँ तो भी वो पैसे किसी और कार्य में खर्च  हो जाएँगे किन्तु उनसे घर नहीं खरीदा  जा सकेगा इसका उसे डिप्रेशन होता है ! इसीप्रकार से जो किसी लड़की को पाना चाहता है और यदि वो उसे नहीं मिलती है तो वो जिस बल का प्रयोग करता है उसमें सुख तो मिलना नहीं होता है दुःख ही मिलता है !
   वस्तुतः जो लड़का या लड़की किसी लड़की या लके को पाना चाह रहे हैं किन्तु वो उसे पा नहीं पा रहे हैं इसका उन्हें भयंकर तनाव है। ऐसी परिस्थिति में वो उसे या तो भूल जाएँ या उन्हें वो मिल जाए तभी उनकी समस्या का निदान संभव है इसमें चिकित्सा अपनी भूमिका कैसे निभा सकती है अर्थात संभव ही नहीं है। 
    एक आदमी को दो बच्चे हैं और पत्नी है सुख पूर्वक सभी लोग रह रहे हैं किन्तु उनका समय बुरा आया ब्यापार में घाटा होने लगा ,स्वास्थ्य बिगड़ने लगा,मानसिक चिड़चिड़ापन बढ़ने लगा ,स्वजन साथ छोड़ने लगे ,परिवार में भी कलह रहने लगा अंततः तंग आकर पत्नी बच्चे लेकर मायके चली गई और ऊपर से तलाक का केस डाल दिया अब ऐसे मुशीबत के समय पत्नी एवं बच्चों का साथ छूट जाना वो सह नहीं पा रहा है सभी लोग उससे दूरियाँ बनाते चले जा रहे हैं उसी की गलतियाँ गिनाते जा रहे हैं जो सही भी हैं किन्तु समय ही ऐसा है वो करे तो क्या करे !वो आत्महत्या कर लेना चाहता है जिससे उसको बचाने के लिए चिकित्सा पद्धति में क्या क्या उपाय हैं ?
    उसकी पत्नी को यदि कोई साथ देने के लिए समझाना चाहता है तो उसकी पत्नी कहती है कि मैं इसके साथ घुट घुटकर कब तक रहूँ हमारे बच्चों की जिंदगी बिगड़ रही है किन्तु इस कब तक का जवाब कोई चिकित्सक क्या और कैसे देगा वो तो अधिक से अधिक दवाएँ बदल देंगे । 
      ऐसी परिस्थिति में उस परिवार को जोड़कर रखने के लिए चिकित्सकों के पास और क्या क्या उपाय हैं ? 
     इसी प्रकार से व्यापार में किसी को अचानक और बड़ा घाटा हुआ है या सामाजिक पद प्रतिष्ठा में कोई तगड़ा झटका लगा है या कुछ ऐसी ही और घटना घटी है या बार बार स्वास्थ्य ख़राब हो रहा है जिससे उसका तनाव बढ़ता जा रहा है उससे नींद नहीं आती है उससे पेट ख़राब होता है उससे गैस बनती है वो गैस हृदय में आती है तो घबराहट होती है रक्तचाप बढ़ता है श्वाँस लेने में कठिनाई होती है इसीप्रकार से वही गैस शिर में चढ़ती है तो चक्कर आते हैं उलटी लगती है बदन दर्द होता है ऐसे में निराश हताश स्त्री पुरुष जीवन में कुछ भी कर पाने की इच्छा छोड़ देते हैं और डिप्रेशन में चले जाते हैं इसमें क्या करे चिकित्सा व्यवस्था ?क्योंकि जिसका मन जहाँ फँसा है वो जिस कारण निराश हुआ उस मन को वहाँ से निकालना पड़ेगा उसके दो ही उपाय हैं या तो जैसा वो चाहता है वैसा हो और न हो तो वैसा ही होगा इसका उसे मजबूत आश्वासन मिले ,क्योंकि कोई भी मनोरोगी हर किसी की हर बात पर विश्वास करेगा ही क्यों ?वो पागल तो होता नहीं है इतनी बात उसे भी पता होती है कि उसे समझाने का प्रयास किया जा रहा है क्योंकि वो भी औरों के लिए इसी फार्मूले का इस्तेमाल करता रहा है जो आधार हीन  था फिर वो उसे अपने लिए सच कैसे मान ले !इसलिए चिकित्सकों से लेकर स्वजनों तक का समझाना उसे न केवल निरर्थक लगता है अपितु वो सब सुनकर उसे लगता है कि वो लोग उसे बेवकूफ बना रहे हैं इसलिए उसे गुस्सा आने लगता है चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है इसी आक्रोश में आकर वो चीजों को तोड़ने फोड़ने लगता है लोगों को मारने काटने लगता है।जिससे लोग परेशान होते रहते हैं किन्तु इन सभी बातों में चिकित्सा का दायित्व कितना है मुझे नहीं पता किन्तु संपूर्ण नहीं है इतना तो हमें भी पता है । 
     यहाँ ज्योतिष एवं तंत्र इसीलिए बहुत प्रासंगिक हैं और इनकी प्रभावी भूमिका भी है !बंधुओ ! आप स्वयं देखिए कि मनोरोगियों के विषय में ज्योतिष कैसे प्रासंगिक है ! 
     जीवन में बहुत सारे  विषय समय के आधीन हैं और समय का अध्ययन ज्योतिष के आधीन है समय अच्छा बुरा सब  का आता है किसी का किसी विषय में तो दूसरे का दूसरे विषय में - जैसे  किसी का विवाह अच्छी ग्रह दशा में हुआ तो उनके सम्बन्ध पहले तो अच्छे चलते रहे किन्तु दो वर्षों के बाद समय बदल गया और बुरा समय आ गया तब आपस में कलह बढ़ने लगा पत्नी रूठकर मायके चली  गई और तलाक लेने की बात करने लगी जिससे उसका पति डिप्रेशन में चला गया क्योंकि वो उसे बहुत चाहता था ऐसे दोनों लोगों की जन्म पत्री का अध्ययन जब ज्योतिष विद्वान करते हैं तो सामने आता है कि परेशान दोनों होते हैं किन्तु जिसका समय अधिक ख़राब होता है वो अधिक डिप्रेशन में होता है जिसका कम ख़राब होता है वो सहते रहता है !
     दूसरी बात ज्योतिषी को ये पता लग जाता है कि इनका ये तनाव रहेगा कब तक उसके बाद ठीक हो जाएगा और दोनों साथ साथ प्रसन्नता पूर्वक रहने लगेंगे या कुछ और भी !तो उस समय को पास करने के लिए उसी प्रकार के उपाय बता दिए जाते हैं जिन उपायों का असर हो या न हो किन्तु समय तो पार हो ही जाता है , वैसे ग्रहों को शांत करने की वैदिक मन्त्र जप आदि विधियाँ भी होती हैं उससे दुष्प्रभाव कम भी हो जाता है !ये तो रही विषय की बात किन्तु सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि वो मनोरोगी उस ज्योतिषी की कही हुई बातों पर विश्वास ऐसे कैसे कर ले उसके लिए ज्योतिषी को अपना विश्वास भी  दिलाना पड़ता है वो काम विद्वान ज्योतिषी ही कर पाते हैं । इसके लिए उस मनोरोगी के बीते जीवन के बारे में कुछ ऐसी बातें ज्योतिषी को अपनी ज्योतिष विद्या से बतानी पड़ती हैं जो केवल मनोरोगी को ही पता होती हैं उनका समय भी बताना पड़ता है तब मनोरोगी ज्योतिषी पर विश्वास करता है और उसके विश्वास करते ही ज्योतिषी उसके विषय में अपनी भविष्यवाणी कर देता है कि यदि हमारी बताई हुई वो बातें सच हैं तो ये भी सच होगी कि आपकी पत्नी एक वर्ष बाद आपके साथ ही प्रेम पूर्वक रहेगी यह बात सुनकर उस मनोरोगी को उस ज्योतिषी एवं उसकी भविष्यवाणी पर विश्वास होने लगता है और वह इसी आशा में अपना एक वर्ष का समय आसानी से व्यतीत कर लेता है !हमारे संपर्क में कई ऐसे लोग आकर ठीक भी हुए हैं इसलिए मनोरोग के विषय में ज्योतिष जैसे महत्त्व पूर्ण विंदु पर भी विचार होना  चाहिए !
     इसी प्रकार से तंत्र मंत्र  को अंध विश्वास कहकर अक्सर उसकी अक्सर निंदा की जाती है किन्तु अपने को तांत्रिक  कहने वाले लोग इस विषय में करोड़ों रूपए का काम कर रहे हैं उन पर और उन्हें मानने वालों पर कोई फरक नहीं पड़ता है भीड़ें बढ़ती चली जा रही हैं इसका एक ही कारण कि तांत्रिक लोग मनोरोगी को वो सब  कुछ  हो जाने का आश्वासन देते हैं जो वो चाहता है भले वो झूठ ही क्यों न बोल रहे हों किन्तु वो जितने आत्म विश्वास से बोल रहे होते हैं और अपने दावे के समर्थन में कई बड़े लोगों के उदाहरण भी दे रहे होते हैं कि मैंने उनका काम कर दिया उनका कर  दिया तो तेरा क्यों नहीं होगा इस प्रकार से वो मनोरोगी उन तांत्रिकों पर विश्वास करने लगता है और उसके सहारे मनोरोगी का बुरा समय पास हो जाता है और जब अच्छा समय आ जाएगा तब तो उसे ठीक होना ही है ऐसी परिस्थिति में झूठा तांत्रिक भी झूठे आश्वासन देकर भी वो बुरा समय पार करवाते चला जाता है जिसमें कोई बड़ी दुर्घटना घट  सकती थी और नहीं घटी ।यदि वो तांत्रिक वास्तव में तंत्र शास्त्र का विद्वान होता तो उस बुरे समय में कुछ अस्थाई रास्ता निकल भी सकता था इसमें संदेह नहीं है ! वस्तुतः तंत्र शास्त्रियों के नाम पर अपनी पहचान बनाने वाले तांत्रिकों में एक अनुमान के अनुशार लगभग 90 प्रतिशत संख्या में तंत्र कारोबारी सम्पूर्ण रूप से अशास्त्रीय हैं 5 प्रतिशत वे लोग हैं जो तांत्रिकों की तरह विश्वसनीय  बातें तो  कर लेते हैं किन्तु कुछ कर नहीं पाते हैं क्योंकि इस विषय में कुछ सुन रखा है ,2 प्रतिशत वो लोग होते हैं जो जानते हैं किंतु कर नहीं पाते हैं क्योंकि इन्होंने तंत्र के द्वारा कोई अपराध किया होता  है जैसे किसी महिला को विश्वास में लेकर उसका शील शोषण किया गया  है या किसी का मारण मोहन आदि किया गया है और उस तरह की तपस्या की नहीं है जिससे उनकी विद्या ही निष्फल हो गई है । इसी प्रकार से दो प्रतिशत वो लोग हैं जिन्हें इस समाज ने ठगा है अर्थात वो विद्वान हैं चरित्रवान हैं तपस्वी भी हैं और उनके पास बहुत कुछ करने की क्षमता भी है और बहुतों के साथ उन्होंने किया भी है लोग लाभान्वित भी हुए हैं किन्तु समाज के गरीब तबके ने उन्हें कुछ दिया नहीं अपना रोना धोना दिखाकर अपना काम बना लिया फिर बाद में उन्हें कौन पूछता है!जो संपन्न वर्ग था उसने काम हो जाने के बाद बहुत कुछ देने का आश्वासन दिया किन्तु भूल गया ऐसे सुबुद्ध तंत्र शास्त्र वेत्ता निराश होकर समाज से अपने को अलग कर लेते हैं !रही बात एक प्रतिशत वो लोग अभी भी काम कर रहे हैं किन्तु उनको खोज पाना आसान नहीं है ।अतएव ऐसे लोगों को खोजने के लिए सरकार द्वारा संचालित संस्कृत विश्व विद्यालयों में आगम(तंत्र)  विभाग होता है वहाँ सरकार द्वारा नियुक्त तंत्र शास्त्र के ही रीडर प्रोफेसर आदि होते हैं वो अधिकृत लोग होते हैं उनसे संपर्क करने पर उचित मार्गदर्शन मिल सकता है जहाँ फँसने फँसाने का खेल बिलकुल नहीं होता है !यह सुविधा इसी प्रकार से ज्योतिष शास्त्र के लिए भी उपलब्ध है इसमें भी फ्राड लोगों की संख्या 95 प्रतिशत से अधिक है। इसलिए संस्कृत विश्व विद्यालयों के ज्योतिष या तंत्र विषयों से जुड़े लोगों पर ही विश्वास किया जा सकता है वहाँ उन विभागों में कार्यरत शिक्षक या वहाँ से शिक्षित छात्र भी विश्वसनीय होते हैं मैंने भी ज्योतिष विषय में एम.ए.पीएच.डी काशी हिन्दू विश्वद्यालय से की है ऐसे और भी लोग हैं जो पढ़े लिखे हैं और डिग्री होल्डर हैं इन विषयों में जो भी विद्वान लोग हैं लगभग उनके पास उन विषयों से सम्बंधित उच्च डिग्रियाँ हैं क्योंकि इस विषय में फ्राडपन रोकने के लिए सरकार ने विश्वविद्यालयीय शिक्षा की व्यवस्था दी है उसका पालन हर विद्वान को करना होता था पुराने जवाने में डिग्रियों की व्यवस्था नहीं थी तब शास्त्रार्थ की परंपरा थी उससे योग्यता का मूल्यांकन किया जाता था किन्तु आज डिग्रियों का ही प्राधान्य है जैसा आयुर्वेद में भी आज हो रहा है इसलिए विद्वानों को सम्बंधित विषयों में अपनी डिग्रियाँ एवं अपने प्रमाणपत्र लगा कर रखने चाहिए इसी प्रकार से लोगों को भी चाहिए कि चिकित्सकों की तरह ही ज्योतिषियों एवं तांत्रिकों की भी योग्यता का परीक्षण करके ही उन पर  विश्वास करें जो लोग जुड़ते तो झोलाछाप  अयोग्य लोगों से हैं किन्तु जब उनके साथ धोखा होता है तब निंदा शास्त्र एवं शास्त्रीय विद्वानों की करते हैं जो गलत है इससे अन्धविश्वास बढ़ता है इसमें समाज को साथ देना चाहिए !

     इसी प्रकार से ज्योतिष, तंत्र ,योग,वास्तु एवं आयुर्वेद आदि का मिश्रित अध्ययन करने के लिए हमारी राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान नाम की रजिस्टर्ड संस्था है जिसके तत्वावधान में इन विषयों में कई महत्त्वपूर्ण रिसर्च किए गए हैं जिन्हें आर्थिक अभाव में आगे बढ़ाए जाने में कठिनाई हो रही है यदि आर्थिक उपलब्धता पर्याप्त होती तो मौसम विज्ञान से लेकर कई और महत्वपूर्ण विषयों में सराहनीय शास्त्रीय रिसर्च वर्क को प्रभावी रूप से आगे बढ़ाया जा सकता है फिर भी अपनी वित्तस्थिति के अनुसार इस काम को चालू रखा जाएगा धीरे धीरे हो पाएगा बस इतना ही किन्तु इतने महत्वपूर्ण विषय को रुकने नहीं दिया जाएगा ! इसमें किसी को कहीं कोई संदेह नहीं होना चाहिए !
   ऐसे सभी विषयों में सर्वजन हितकारी ज्योतिष सम्बन्धी रिसर्च में यदि आप अपनी इच्छानुशार  आर्थिक सहयोग करना चाहते हैं तो आप यहाँ मैसेज छोड़ सकते हैं अथवा हमें काल कर सकते हैं 011,22002689,22096548\09811226973,9968657732  




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