भूकंप :दिल्ली में -31 -1 -2018 समय दोपहर 12.35 बजे ,तीव्रता 6 . 1 ,'सूर्यज' भूकंप !

      भूकंप के झटके दिल्ली-एनसीआर, यूपी, पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और दूसरे राज्यों में भी महसूस किए गए हैं। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.1 मापी गई है, वहीं भूकंप का केंद्र पड़ोसी देश अफगानिस्तान (हिंदूकुश) में था।हिमाचल के सभी जिला में भूकंप के झटके महसूस क‌िए गए।चंबा , शिमला, कांगड़ा, मंडी, कुल्लू, ऊना, सिरमौर, सोलन, हमीरपुर, बिलासपुर लाहौल स्पीति और किन्नौर जिला में भी भूकंप के झटकों से लोग दहशत में आ गए।यूएस जियॉलजिकल डिपार्टमेंट के मुताबिक रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.1 थी और इसका केंद्र अफगानिस्तान में था। भूकंप के झटके पड़ोसी देश पाकिस्तान और अफगानिस्तान में काफी तेज महसूस किए गए। पाकिस्तान में जहां लाहौर प्रांत में भूकंप आया, वहीं अफगानिस्तान के हिंदूकुश इलाके में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं।
 अब जानिए भारत के प्राचीन 'वैदिकविज्ञान' की दृष्टि से क्या है इस भूकम्प का फल - 
   ये भूकंप  जून और जुलाई की संधि में सूर्य मंडल के आकाशीय विस्तार क्षेत्र में बनना प्रारंभ हुआ था !ऐसे भूकंपों के निर्माण होने और पृथ्वी तक पहुँचने में लगभग 160-200 दिनों का समय लग ही जाता है !कभी थोड़ा बहुत आगे पीछे भी हो जाता है !
      जून जुलाई के बाद जैसे जैसे समय बढ़ता गया सूर्य की किरणों के साथ साथ इस भूकंप का असर पृथ्वी पर पहुँचने लगा !'सूर्यज' भूकंप होने के कारण भूकंपीय क्षेत्र के वातावरण में गरमी बढ़नी स्वाभाविक थी !उस गर्मी के असर से वर्षाजनित प्रदूषण का असर अपेक्षाकृत कम हुआ जिससे वर्षाजनित डेंगू जैसी बीमारियाँ इस वर्ष कम हुईं !ये इसी 'सूर्यज'भूकंप की गर्मी के कारण संभव हो पाया !
   चूँकि भूकंप  'सूर्यज'  है इसलिए गर्मी का प्रभाव बढ़ना ही था और गर्मियों की तरह ही 'सूर्यज' ताप जनित वायुप्रदूषण जो वायु मंडल में व्याप्त है उसका प्रकोप भी होना ही था !भूकंप निर्मित होने के 60 -90 दिनों के बीच इसका असर पृथ्वी पर विशेष होने लगता है!इस वर्ष इसीलिए दीपावली से 15 दिन पहले से ही वायु प्रदूषण अपनी सीमाएँ लाँघने लगा था !इस प्रदूषण का पंजाब की पराली जलाने से कोई संबंध नहीं था !हाँ फैक्ट्रियों वाहनों से निकला धुआँ इसमें कुछ प्रतिशत तक सहायक अवश्य माना जा सकता है !इस 'सूर्यज' संतपितप्रदूषण के कारण ही इस वर्ष सूखीखाँसी, साँस लेने की समस्या एवँ आँखों में जलन आदि जानलेवा होती चली गई जो सतर्क चिकित्सा के बाद भी महीनों तक नियंत्रित नहीं की जा सकी !जबकि शीतऋतु में सूखी खाँसी का क्या मतलब !इस समय सर्दी जुकाम और कफवाली खाँसी होने की संभावनाएँ अधिक रहती हैं ! जहाँ तक पराली या फसलों को जलाने के धुएँ के  असर की बात है तो यदि ऐसा होता भी तो स्वास्थ्य के लिए इतना घातक कैसे हो सकता है खाद्य पदार्थों का धुआँ खाद्य पदार्थों के स्वभाव का ही होने के ही कारण स्वास्थ्य सहायक होता है इसीलिए आयुर्वेद में धूम्रपान का विधान है !
     इसी 'सूर्यज' भूकंप के प्रभाव से लोगों के मनों में तनाव बढ़ता चला गया और इसी उन्माद के कारण जगह जगह असंतोष उन्माद जैसी दुर्घटनाएँ देखने को मिलने लगीं !यहाँ तक कि भारत पाक की सीमा पर इधर कुछ दिनों से क्रमिक रूप से बढ़ता तनाव भी इसी भूकंप की देन था !
  'सूर्यज'भूकंप के प्रसव का समय समीप होने के कारण ही इस वर्ष शिशिरऋतु में भी उतनी सर्दी नहीं पड़ी जितनी अन्य वर्षों में पड़ती देखी जाती रही है और न ही सर्दी जुकाम आदि बलगम का प्रकोप ही दिखा अपितु सूर्य के प्रभाव के कारण ही सूखी खाँसी एवं स्वाँस लेने की समस्या जानलेवा बनी रही !ये 'सूर्यज'भूकंप के ताप का ही प्रभाव रहा है जैसे जैसे भूकंप का समय समीप आता चला गया वैसे वैसे गर्मी की मात्रा बढ़ती एवं सर्दी की मात्रा घटती चली गई !इतना ही नहीं अपितु भूकंप आने के दो दिन पहले से तो गर्मी ने कुछ वर्षों के रिकार्ड तोड़ दिए ये 'सूर्यज' भूकंप का ही असर तो था !इस भूकंप का प्रसव तो 31-1-2018 को दिन के 12.35 पर हो गया ये सारे प्रसव के पूर्व के लक्षण थे !
     इसके बाद इस भूकंप के प्रभाव को समझा जाना चाहिए जो बहुत आवश्यक है !'सूर्यज' भूकंप का प्रभाव अगले कम से कम 90 दिनों तक अवश्य रहेगा किंतु जैसे जैसे समय ब्यतीत होता चला जाएगा वैसे वैसे इस भूकंप का असर भी घटता चला जाएगा !ऊपर जो दोष दुर्गुण बताए गए हैं वो अभी चलते रहेंगे और धीरे धीरे ही प्रभाव घटता चला जाएगा !
     चूँकि अभी तुरंत भूकंप घटित हुआ है इसलिए इसका असर पृथ्वी पर अभी सौ प्रतिशत है इससे प्रभावित क्षेत्र अगले कम से कम 90 दिनों तक कई बड़ी समस्याओं से जूझेगा ! इस भूकंप से प्रभावित क्षेत्र का पानी बहुत तेजी से सुखा देगा ये भूकंप !वर्षा की संभावनाएँ अत्यंत कमजोर होती चली जाएँगी !
   इस भूकंप के कारण ही नदियों कुओं तालाबों आदि का जलस्तर तेजी से घटेगा !पाताल तक की जलराशि का अत्यधिक मात्रा में अतिशीघ्र शोषण कर लेगा ये भूकंप !जिससे जल संकट बहुत तेजी से बढ़ता चला जाएगा !सरकार को इस क्षेत्र में विशेष सतर्कता पूर्वक जल आपूर्ति के यथा संभव तुरंत पूरक उपाय करने होंगे !
  वर्तमान वायु में शोषण का गुण विशेष बढ़ जाने से कृषि के क्षेत्र में विशेष असर पड़ेगा !आनाज की उपज की मात्रा काफी अधिक घट जाएगी तैयार अनाज पकने की अपेक्षा बहुत तेजी से सूखते चले जाएँगे जिससे पैदावार आशा की अपेक्षा बहुत कम रह जाएगी !संभावित जल संकट के कारण इस फसल में होने वाली सब्जियों की पैदावार पर बहुत अधिक बिपरीत असर पड़ेगा !और खाद्य पदार्थों के संकट से निपटने के लिए सरकार अत्यंत शीघ्र सतर्क होकर प्रयास करना प्रारंभ कर दे !
     इस भूकंप के दुष्प्रभाव से दूसरी बड़ी समस्या ये पैदा होगी कि इस भूकंपीय क्षेत्र में अग्नि सम्बन्धी समस्याएँ बहुत शीघ्र बहुत अधिक बढ़ जाएँगी क्योंकि इस समय भूकंप से प्रभावित क्षेत्र के वायुमण्डल में व्याप्त है अग्नि !इसलिए अग्नि से सामान्य वायु भी इस समय ज्वलन शील गैस जैसे गुणों से युक्त होकर विचरण कर रही है जिसके प्रभाव से इस क्षेत्र में कभी भी कहीं भी कितनी भी भीषण आग लगने की घटनाएँ घटित हो सकती हैं थोड़ी भी असावधानी घातक होगी !इसलिए सरकार के द्वारा अग्निशमन सेवाओं को बिल्कुल चुस्त दुरुस्त करके तैयार हो जाना चाहिए !
    स्वास्थ्य की दृष्टि से इस भूकंप के दुष्प्रभाव से पित्त अर्थात गर्मी संबंधित रोग विशेष रूप से पनपेंगे !शरीर में जलन की बीमारियाँ बढ़ेंगी तरह तरह के ज्वर फैलेंगे बिचर्चिका और बिसर्पिका जैसी त्वचा सम्बन्धी बीमारियाँ नेत्र में जलन रोग एवं पीलिया जैसे रोगों के निकट भविष्य में विशेष बढ़ने की सम्भावना है !इस दृष्टि से सरकार को विशेष चिकित्सकीय सतर्कता बरतनी चाहिए !
    'सूर्यज' भूकंप होने के कारण इस तापमान का असर केवल प्रकृति और स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं रहेगा अपितु ये समय भूकंप से विशेष प्रभावित लोगों के चिंतन को अत्यंत उग्र अर्थात दूषित कर देगा !जिससे इस क्षेत्र में लोगों के आपसी सम्बन्ध दिनोंदिन तनाव पूर्ण होते चले जाएँगे !लोग एक दूसरे के साथ मरने मारने पर उतारू हो जाएंगे निकट भविष्य में विशेष अशांति बढ़ना संभव है !लोगों के आपसी सम्बन्धों में कटुता बढ़ती चली जाएगी !भारत पाकिस्तान और अफगानिस्तान के आपसी संबंध न केवल अविश्वसनीय होते चले जाएंगे अपितु ऐसी ऐसी दुर्घटनाएँ घटित होंगी कि इन देशों का आपसी तनाव विशेष बढ़ता चला जाएगा !पाक की कैद में कुलभूषण जाधव जैसे लोगों के साथ इसी समय में किसी भी अनहोनी को अंजाम दे सकता है पाकिस्तान !पाक की बातों पर भरोसा न करके ऐसे लोगों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार को विशेष एवं अतिरिक्त प्रभावी प्रयास तुरंत प्रारंभ कर देने चाहिए अन्यथा कहीं देर न हो जाए !31-1-2018 से 15 मार्च 2018 तक इस दृष्टि से विशेष कठिन समय है जिसमें फरवरी का महीना काफी कठिन है !
   पाक सीमा पर लगी भारतीय सेनाओं को तुरंत सावधान कर दिया जाना चाहिए क्योंकि पकिस्तान उनके विरुद्ध कभी भी कोई भी कितनी भी बड़ी कायराना वारदात को अंजाम दे सकता है !इसलिए सैनिकों के बहुमूल्य जीवन की सुरक्षा जितने प्रकारों से की जा सकती हो वो सभी तत्काल प्रयोग में लाए जाने चाहिए जिससे सैनिकों की सुरक्षा अधिक से अधिक सुनिश्चित की जा सके एवं आतंकवादी घटनाओं से देश की रक्षा की जा सके !इसके अलावा देश के अंदर भी भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में संभावित तनाव एवं पत्थरवाजी जैसी दुर्घटनाओं की संभावनाओं को कुचला जा सके !सरकार  को इसके लिए भी प्रभावी प्रयास करने चाहिए ! 
  उचित होगा कि इस भूकंप से प्रभावित देशों के बीच आपसी तनाव बढ़ने से रोकने के लिए इन देशों की सरकारों को संयम का परिचय देना चाहिए एवं आपसी सभी प्रकार के विवादित मुद्दों को यहीं रोका जाए अन्यथा कभी भी कहीं भी कितना भी बड़ा तनाव तैयार हो सकता है !
     भारत समेत इन भूकम्पीय देशों में स्थापित सरकारों में बैठे लोगों के लिए ये सबसे सावधान रहने का समय है क्योंकि इस समय इस भूकंप के प्रभाव से तमाम प्रकार की इतनी अधिक समस्याएँ पैदा हो जाएँगी जिनसे अत्यधिक प्रयास पूर्वक निपटने के बाद भी जनता के असंतोष को कम कर पाना अत्यंत कठिन होगा !जिसके दुष्परिणाम स्थापित सरकारों की छवि बिगाड़ सकते हैं !जिसकी भरपाई कर पाना निकट भविष्य में अत्यंत कठिन होगा !
     कुल मिलाकर भूकंप मौसम एवं पर्यावरण जैसी समस्याओं को समझने के लिए एवं इनका पूर्वानुमान लगाने के लिए जितने ज्ञान अनुभव एवं दूरदर्शिता की आवश्यकता है आधुनिक विज्ञान के द्वारा इन विषयों में किए जा रहे प्रयास खानापूर्ति मात्र हैं !
   लगभग पिछले दो दशकों से हमारे द्वारा वैदिक विज्ञान के बिषय में 'समय'पर किया जा रहा अनुसंधान कई प्रकरणों में काफी अधिक सटीक और सहायक होता दिख रहा है किंतु भारत सरकार को कई पत्र लिखने के बाद भी उसका ध्यान इधर नहीं लाया जा सका है !जबकि सरकार का अपना भूकंपविज्ञानविभाग ,मौसम विभाग एवं पर्यावरण विभाग एक पैसे का भी काम नहीं कर पा  रहे हैं ये उनकी लाचारी है कमजोरी है लापरवाही है ये तो वो ही जानें मैं तो केवल इतना जानता हूँ कि सरकार के द्वारा इनके अनुसंधानों पर खर्च किया जाने वाले जनता के धन का दुरूपयोग मात्र है !
   क्योंकि न उनकी इतनी विराट सोच है न अपने शोधकार्यों के प्रति इतना समर्पण और न ही उनके पास इन विषयों से संबंधित ज्ञानकर का ही ऐसा कोई ठोस आधार ही है जिसके बलपर वे इन अनुसंधानों के विषय में कोई विशेष प्रयास करने लायक या कुछ बोलने बताने लायक ही हों !इन विषयों में उनके द्वारा बताई या कही गई बातें मनगढंत एवं सच्चाई से कोसों दूर होती हैं !उनके द्वारा इन विषयों में प्रस्तुत आंकड़े निराधार एवं विश्वास करने योग्य नहीं होते हैं फिर भी सरकार को वही पसंद हैं तो उन्हीं की सुनते रहें !साथ ही हमारे वैदिक विज्ञान के द्वारा किए जाने वाले समय संबंधी अनुसंधानों को भी पढ़ते रहें !हमें भी प्रतीक्षा है किसी सक्षम पारिखी की जिसके मिलते ही इस विषय में संचित कई बड़े रहस्य खोलना हमारे लिए आसान होगा किंतु सरकार से इसके लिए हमें और बहुत कुछ नहीं चाहिए किंतु उचित मंच तो मुहैया करना ही होगा अन्यथा मौसम भूकंप एवं पर्यावरण के विषय में अक्सर निराधार झूठ बोलते रहने वाले सरकारी लोग न जाने उस पर क्या टिप्पणी  करें क्योंकि उन्होंने आधुनिक विज्ञान को न पढ़ने वाले और अंग्रेजी न बोल पाने वाले लोगों को वैज्ञानिक न मानने की कसम सी खा रखी है जिसका नुक्सान देश और समाज को भुगतना पड़ रहा है !
     ये बातें मैं आज 31-1-2018 में रात्रि 11.30 पर अपने ब्लॉग पर प्रकाशित कर रहा हूँ जिसका साक्ष्य स्वयं गुग्गल है मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि इस लेख में प्रकाशित करने के बाद कोई संशोधन नहीं करूँगा !यहाँ तक कि इस लिख को दोबारा खोलूँगा भी नहीं !इसमें लिखी हुई भूकंप के विषय में भविष्य संबंधी बातों का परीक्षण सरकार एवं समाज को स्वयं करना चाहिए !
   

15 comments:

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