ज्योतिष और चिकित्सा दोनों की ही शिक्षा प्रक्रिया जब एक जैसी है तो फिर एक विज्ञान और दूसरा अंधविश्वास कैसे ?

    भारत सरकार के शिक्षा सम्बन्धी नियमों का अनुपालन करते हुए ज्योतिष शास्त्र का अध्ययन करना अपराध है क्या ?
      चिकित्सा शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र दोनों प्राचीन विज्ञान हैं मनुष्य जीवन को स्वस्थ रखने में दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका है !चिकित्सा और ज्योतिष दोनों ही सब्जेक्ट समाज के लिए बहुत उपयोगी हैं और इन दोनों ही विषयों की आवश्यकता समाज के लगभग  प्रत्येक  व्यक्ति को पड़ती रहती है कोई बीमार होगा तो उसे दवा चाहिए और जो किसी भी विषय में परेशान होगा उसे ज्योतिष का सहयोग चाहिए यही कारण है कि समाज का लगभग हर व्यक्ति अपने को औषधि वैज्ञानिक अर्थात डॉक्टर एवं ज्योतिष वैज्ञानिक अर्थात ज्योतिषी सिद्ध करने का प्रयास कैसे भी करता रहता है,आप किसी से अपनी किसी बीमारी की बात करने लगो जानो सामने वाला तुरंत दवा बताने लगेगा भले वो खुद भी बीमार ही क्यों न हो या अँगूठाटेक अर्थात बिना पढ़ा लिखा ही क्यों न हो !यही स्थिति ज्योतिष के क्षेत्र में भी है आप किसी के सामने अपने हैरान परेशान होने की चर्चा करके तो देखिए जानो वो सुनने वाला व्यक्ति तुरंत ज्योतिषी ,वास्तुविद आदि बन जाएगा और आपको बताने लगेगा कटोरा  कटोरी कौवे कुत्ते चना मसूर कोयले कंकर से किए जाने वाले उपाय !और आपकी पूरी गारंटी भी ले लेगा !अक्सर ऐसे बकने  बयाने वाले लोग अपने को ज्योतिषी या चिकित्सक सिद्ध करने के लिए अनेकों प्रकार के हथकंडे किया करते हैं जगह जगह विज्ञापन देना लगाना,अपनी प्रशंसा भाड़े के प्रशंसा कर्मियों से करवाना, टी.वी.चैनलों पर नेताओं अभिनेताओं के साथ बने वीडियो दिखाना ,ज्योतिष पढ़ाना या सिखाना,भाग्य बताना ,राशिफल नाम का झूठ बोलना आदि आदि ये सब उछलकूद आदि बेकार के ड्रामे  किसलिए ! केवल इसीलिए न कि ज्योतिष या चिकित्सा के क्षेत्र में बिना कुछ पढ़े लिखे ही अपने को ज्योतिषी या चिकित्सक जबरदस्ती सिद्ध करने की तैयारी मात्र है अन्यथा ये सब आडम्बर किसलिए ? स्वदेश से विदेश तक कभी किसी पढ़े लिखे डाक्टर ,इंजीनियर,वैज्ञानिकों आदि को इतनी निर्लज्जता पूर्वक भाड़े के प्रशंसा कर्मियों से अपनी झूठी प्रशंसा करते करवाते सुना है क्या !कभी नहीं सुना होगा क्योंकि कोई भी सुशिक्षित व्यक्ति इतना बेशर्म हो ही नहीं सकता ! और अच्छा भी तभी लगता है जब आपकी वास्तविक प्रशंसा दूसरे लोग करें!
    इसीलिए अच्छे ज्योतिषी या चिकित्सक अपने अपने विषयों को सब्जेक्ट रूप में लेकर किसी  विश्वविद्यालय से ज्योतिष या चिकित्सा के क्षेत्र में ही प्रमाणित पाठ्यक्रम पढ़ते और हासिल करते इन्हीं विषयों में उच्च डिग्रियाँ और सम्मान सहित चुप होकर बैठते हैं अपने अपने घर जिसे उनकी जरूरत होती है वो खुद उन्हें  खोज कर मिलने जाता है !उन्हें कभी अपने विषय में ऐसी खुश खबरी की अफवाह नहीं उड़ानी पड़ती है कि मैं आपके देश प्रदेश जिले कस्बे गाँव आदि में पधार रहा हूँ आदि आदि ! ऐसा क्यों करेगा कोई गंभीर विद्वान? 
     बंधुओ ! समाज किसी ज्योतिषी या चिकित्सक के विषय में उसके योग्य या अयोग्य होने का फैसला ऐसे कैसे कर ले ! क्योंकि इन लोगों से काम तो पड़ता ही रहता  है और इनके पास जाना भी पड़ेगा किन्तु उनकी योग्यता या अयोग्यता की पहचान ऐसे कैसे की जाए ऐसे कैसे मान ले कि कौन ज्योतिषी या चिकित्सक योग्य है !उसी को खोजकर उसी से मिला जाए लेकिन उसे खोजा  कैसे जाए !   
    बंधुओ! बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी  में मेडिकल की पढ़ाई होती है और उसी में ज्योतिष की पढ़ाई भी होती है !जितने वर्ष का कोर्स मेडिकल का है उतने वर्ष का कोर्स ज्योतिष का है जैसे मेडिकल की डिग्री मिलती है लगभग  वैसे ही ज्योतिष की डिग्री भी मिलती है मेडिकल की पढ़ाई पढ़ने वाले हों या ज्योतिष की दोनों ही मानव जीवन की कठिनाइयों को सरल बनाने का प्रयास करते हैं एक दवाओं से तो दूसरा दुवाओं(मन्त्र जप ) से और दोनों का असर होता है !
      पहले चिकित्सा के क्षेत्र में लोग आयुर्वेद पढ़ते या सीखते थे और जनता को चिकित्सकीय सेवाएँ देने लगते थे इसी प्रकार से ज्योतिष के क्षेत्र में भी ज्योतिष पढ़ और सीख कर लोग समाज को ज्योतिषीय सेवाएँ देने लगते थे।उस ज़माने में चिकित्सा और ज्योतिष दोनों ही क्षेत्रों में योग्यता का मूल्यांकन करने के लिए डिग्रियाँ नहीं होती थीं दोनों ही क्षेत्रों  में समाज का अनुभव ही योग्यता का मुख्य प्रमाण माना जाता था । हाँ ,इतना अवश्य होता था कि चिकित्सा और ज्योतिष दोनों ही क्षेत्रों के अच्छे विद्वानों का चयन शास्त्रार्थ के माध्यम से किया जाता था और जो लोग शास्त्रार्थ के माध्यम से विजयी होते थे उन्हें राजदरवार में रख लिया जाता था ऐसेचिकित्सकों को राजवैद्य एवं ज्योतिषियों  को  राजज्योतिषी कहा जाता था। ये लोग अपने अपने विषय में सबसे अधिक योग्य माने जाते थे ।
    धीरे धीरे समय बदला राजतंत्र  समाप्त हुआ लोकतंत्र की स्थापना हुई तो चिकित्सा और ज्योतिष जैसे लोक जीवन से जुड़े विषयों में हर कोई धंधा खोजने लगा,बिना पढ़े लिखे ही कोई भी भविष्य बकने लगा और कोई भी चिकित्सा करने लगा बिलकुल अयोग्य लोग भी घुसपैठ करके चिकित्सा और ज्योतिष के क्षेत्र में घुस  आए और दुष्प्रभावित करने लगे चिकित्सा और ज्योतिष की सेवाएँ ! इसके साइड इफेक्ट चिकित्सा और ज्योतिष दोनों ही क्षेत्रों में होने स्वाभाविक थे वो होने लगे किन्तु ऐसे घुस पैठियों को रोका  कैसे जाए, ये सबसे कठिन सवाल था क्योंकि तब तक योग्यता को नापने वाला कोई नियम बना ही नहीं था ! इसीलिए चिकित्सा और ज्योतिष दोनों ही क्षेत्रों में डिग्रियों का प्रावधान किया गया ।
  आज ज्योतिष एक सब्जेक्ट है जो संस्कृत विश्वविद्यालयों में अन्य विषयों की तरह ही पढ़ाया जाता है । भारत सरकार के नियमानुशार इसकी भी कक्षाएँ होती हैं परीक्षाएँ होती हैं डिग्रियाँ मिलती हैं।  जिस डिग्री को सामान्य रूप से बी.ए.कहा जाता है संस्कृत विश्वद्यालयों में उसे शास्त्री कहा जाता है इसी प्रकार से एम.ए.को आचार्य कहा जाता है जैसे ज्योतिष से एम.ए. करने वालों को ज्योतिषाचार्य कहा जाता है जो लोग ज्योतिषाचार्य की डिग्री बिना लिए हुए भी ज्योतिषाचार्य लिखते हैं यह कानूनन अपराध है उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए और यदि वो ऐसा करते हैं तो उन पर कानूनी कार्यवाही करने का किसी को भी अधिकार है।       
     काशी हिन्दू विश्व विद्यालय में तो सब्जेक्टके रूप में ज्योतिष और चिकित्सा दोनों को ही पढ़ाया जाता है सामान्य विषयों की तरह इसकी भी कक्षाएँ लगती हैं अब बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से ही चिकित्सा और  ज्योतिष दोनों में ही Ph.D. करने वाले को डॉक्टरेड  की डिग्री मिलती है !चिकित्सा और ज्योतिष दोनों ही क्षेत्रों में डिग्रियों के प्रावधान का मतलब स्पष्ट है कि इन क्षेत्रों में अयोग्य लोगों की घुसपैठ रोकी जाए और योग्य लोगों की पहचान हो सके।
     इससे ज्योतिष और चिकित्सा दोनों ही क्षेत्रों में योग्य लोग चिकित्सा और ज्योतिष के सरकारी विश्वविद्यालयीय पाठ्यक्रम को पढ़कर डिग्रियाँ लेकर इन क्षेत्रों में उतरने लगे आखिर पढ़ने  का परिश्रम वो लोग वैसे भी करते थे ऐसे भी करना पड़ता है,वैसे अपनी रूचि और आवश्यकताओं के अनुशार पढ़ते थे अब सरकार के निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुशार पढ़ना पड़ेगा तहाँ वैसे कितना भी पढ़ने और परिश्रम करने के बाद भी विद्वानों को वो सम्मान नहीं मिल पाता था जो डिग्रियों का पालन करते हुए पढ़ने पर मिलता है कम से कम सम्बंधित विषय में क्वालीफिकेशन का पता  तो चलता है। इसप्रकार से डिग्रियों के प्रावधान होने से समाज को भी सबसे बड़ा लाभ यह हुआ है कि वो अपनी आवश्यकतानुशार योग्य चिकित्सकों और योग्य ज्योतिषियों की पहचान तो कर सकता है अन्यथा हर कोई अपने को विद्वान ही कहता है आखिर कोई अपने को अयोग्य क्यों कहेगा ये तो समाज को स्वयं ही किसी चिकित्सक की तरह ही किसी ज्योतिषी के भी  डिग्री प्रमाणपत्र आदि माध्यमों से समझकर निर्णय करना पड़ता है !जो डिग्री होल्डर चिकित्सक या ज्योतिषी होते हैं वो अपने अपने कार्यस्थलों में अपने अपने डिग्री प्रमाणपत्र की प्रतिलिपि लगा कर रखते हैं जिनके पास होंगे वो छिपाएँगे क्यों और जिनके पास नहीं होंगे वो लगाएँगे कैसे !ये सीधी सी बात है । 
        अब  किसी ज्योतिषी  को कोई फ्राड या मिस गाइड करने वाला या ज्योतिष शास्त्र  को अंध विश्वास कैसे कह सकता है फिर भी किसी के पास यदि किसी ज्योतिषी के विषय में कुछ ऐसे प्रमाण हैं उसे गैर कानूनी सिद्ध करते हैं या उनकी ज्योतिष शिक्षा की डिग्री पर किसी को संदेह होता है तो या तो उनसे किनारा करे और या फिर उनकी योग्यता एवं अनुभव के आधार पर बात करे, ये बात करने वाले की अपनी जिम्मेदारी है किन्तु इतना तो कहा ही जा सकता है कि किसी प्रमाणित सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालय से ज्योतिष शास्त्र में उच्च शिक्षा लिए बिना किसी भी व्यक्ति को ज्योतिष शास्त्र का प्रतिनिधि विद्वान तो नहीं ही माना जा सकता है ।
     ऐसी कोई भी शिकायत किसी के भी बारे में सरकार से करनी चाहिए करे न करे ये उसका अपना विषय है किन्तु किसी एक व्यक्ति के साथ ज्योतिषीय  व्यवहार बिगड़ जाने से सभी ज्योतिषियों समेत ज्योतिष शास्त्र को झूठ या पाखण्ड आदि कुछ भी कहने का अधिकार नहीं है, इसलिए ऐसी परिस्थिति में उसे सीधे कानून का सहारा लेना चाहिए और बंद कराना चाहिए अन्धविश्वास ! आखिर सब ज्योतिषी फ्राड नहीं होते  उनका भी अपना सम्मान एवं गौरव है जिसने प्रापर ढंग से शिक्षा ली है वो क्यों सुने किसी के आरोप प्रत्यारोप ?
      किसी की शिकायत पर ज्योतिष शास्त्र को सरकार यदि गलत मान लेती है तो  ज्योतिष को सब्जेक्ट के रूप में मान्यता देना सरकार स्वयं ही बंद कर देगी तो अपने जीवन के बहुमूल्य दस बारह वर्ष लगाकर ज्योतिष पढ़ने वाले छात्र लोग ज्योतिष न पढ़कर कुछ और पढ़ेंगे जो कुछ भी पढ़ेंगे उससे उनकी आजीविका बनेगी अब ऐसा तो हो नहीं सकता है कि दस बारह वर्ष लगाकर पढ़ें तो ज्योतिष और काम कुछ और करें !और यदि ज्योतिष का काम करें तो उन्हें फ्राड  ये कहाँ का न्याय है ?
      रही बात ज्योतिषियों के मिस गाइड करने की तो धोखाधड़ी हर क्षेत्र में हो रही है ऐसा चिकित्सा में भी देखा जाता है तो इसके लिए जैसे सम्पूर्ण चिकित्सा पद्धति दोषी  नहीं है उसी प्रकार से ज्योतिषीय मिस गाइड करने वालों के लिए सम्पूर्ण रूप से ज्योतिष पद्धति जिम्मेदार नहीं होती है कि कोई भी किसी भी ज्योतिष विद्वान को गाली देने लगे ! जैसे  चिकित्सा के क्षेत्र में मिस गाइड करने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जा सकती है उसी प्रकार से ज्योतिष के क्षेत्र में भी कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। 
      सरकार के द्वारा प्रमाणित संस्कृत विश्वद्यालयों में भारत सरकार के नियमानुशार जो ज्योतिष की पढ़ाई होती है और डिग्रियाँ मिलती हैं ज्योतिष से एम.ए. करने वालों को ज्योतिषाचार्य कहा जाता है इसके बाद PH.D. होती है बस !इसके अलावा जो लोग ज्योतिष डिग्रेियों के नाम पर कोई भी पद पदवी लिखते हैं वो डिप्लोमा आदि हो सकते हैं किन्तु डिग्रियाँ नहीं हैं ।        
      अब जो लोग ज्योतिषी की योग्यता का मूल्यांकन इस बात से करते हैं कि ज्योतिषी की फोटो कितने मंत्रियों के साथ हैं या किन किन टी.वी. चैनलों में आते हैं या कितने गोल्ड मैडलिस्ट हैं तो ये उनका निजी विचार है इससे ज्योतिषी की योग्यता का कोई लेना देना नहीं होता है,फिर भी ये सब देखकर यदि किसी ने किसी को ज्योतिष का विद्वान मान ही लिया है तो इसमें ज्योतिष शास्त्र का दोष कहाँ है और न सरकार का ही कोई दोष है !
    किसी क्वालीफाइड डाक्टर या इंजीनयर आदि किसी भी व्यक्ति को टी.वी.चैनलों पर जाकर अपने सब्जेक्ट को बताते या पढ़ाते कभी देखा है क्या ? कोई डाक्टर किसी रोगी को टी.वी. चैनलों पर बीमारी के लक्षण बताता हो और उसकी दवा भी बता रहा हो कि "इस रोग के यदि ये लक्षण हैं तो ये दवा ले लेना"अथवा चिकित्सा पढ़ाते हुए " किसी डाक्टर को टी.वी. चैनलों पर यह कहते सुना है क्या "इस रोग के ये लक्षण हैं यदि किसी रोगी को ये रोग हो तो ये दवा दे देना !"ऐसा हो ही नहीं सकता है कोई भी पढ़ा लिखा व्यक्ति किसी भी विषय में इतना लापरवाह कभी नहीं हो सकता कि वो अपने सब्जेक्ट की टी.वी. चैनलों पर बैठकर इस प्रकार से धज्जियाँ उड़ा रहा हो !कोई सुशिक्षित ज्योतिषी भी ज्योतिष शास्त्र के साथ ऐसा खिलवाड़ कभी नहीं कर सकता है कम से कम बारह वर्ष दिन रात परिश्रम पूर्वक ज्योतिष शास्त्र का अध्ययन करके ज्योतिषाचार्य करने वाले व्यक्ति को अपने विषय से इतना लगाव तो रहता ही है कोई भी विद्वान हो जहाँ तक उसका बश चलेगा वो अपने सब्जेक्ट की छीछालेदर कभी नहीं होने देगा !
      टी.वी.पर एक बार एक शनैश्चरासुर जी को ज्योतिष बकते देखा आश्चर्य था कोई शराबी शराब पीकर इतनी जल्दी जल्दी गालियाँ नहीं दे सकता जितनी जल्दी जल्दी वो ज्योतिष बक रहे थे !ये ज्योतिष की छीछालेदर नहीं तो क्या है !
      मुख्य विषय यह है कि चिकित्सकों की तरह ही बिना डिग्री के या फर्जी डिग्री के ज्योतिषी भी गैर कानूनी माने जाते हैं किन्तु अधिकाँश लोगों को इसकी जानकारी नहीं है तो इसमें ज्योतिष शास्त्र का क्या दोष और सरकार एवं कानून का क्या दोष है ?अगर आप चिकित्सा के क्षेत्र में सतर्क हैं तो ज्योतिष में भी अच्छी सेवाओं के लिए सतर्क आपको ही रहना होगा यदि आप डाक्टर की चिकित्सकीय डिग्रियाँ आदि क्वालीफिकेशन देखते हैं तो किसी ज्योतिष वैज्ञानिक का ज्योतिषीय क्वालीफिकेशन क्यों नहीं देखते हैं।
    यह ज्योतिष सम्बन्धी विश्व विद्यालयीय जानकारी देना मेरा काम है वो मैंने किया है फिर भी जिसको जहाँ जब जैसा अच्छा लगे वैसा करे किन्तु ज्योतिष शास्त्र को अंध विश्वास  एवं  ज्योतिषी को पाखंडी न कहे !ज्योतिष भी एक विद्या है इसलिए आपका मन हो इसे मानें न मन हो न मानें किन्तु एक विद्या एवं एक शास्त्र होने के नाते इसकी निंदा नहीं की जानी चाहिए !कई बार ऐसा भी तो होता है कि इस विषय को हम जानते ही नहीं हैं अर्थात हमने पढ़ा ही नहीं है फिर यह भी सोचना चाहिए कि हो सकता है हमारी समझ में ही न आया हो इसलिए निंदा करना ठीक नहीं है !
      मैंने स्वयं संपूर्णानंद संस्कृत विश्व विद्यालय से ज्योतिषाचार्य किया है एवं बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से Ph.D.की है इसके अलावा भी तीन विषय से M.A.किया है सौ से अधिक किताबें लिखी हैं उनमें कई काव्य ग्रन्थ हैं 15किताबें  स्कूलों में पढ़ाई जा रहीं हैं ।
    इतने सबके बाद भी बड़ी आसानी से लोग ठग या धोखा धड़ी करने वाला अादि आदि अारोप लगाने लगते हैं आखिर क्यों केवल इसीलिए न कि मैंने अन्य विषयों के साथ साथ ज्योतिष भी पढ़ी है तो यह इतना बड़ा दुर्गुण हो गया क्या ?मजे की बात तो यह है कि ये सब बातें वो लोग कहते हैं जिनकी अपनी योग्यता कुछ नहीं होती है फिर भी सहना  पड़ता  है !क्योंकि ज्योतिष पढ़ी है !
    पिछले कई दिनों से लोग हमारे ज्योतिषी होने पर सवाल उठाते चले आ रहे हैं इसीलिए उसकी सफाई में यह लेख लिखना हमारे लिए आवश्यक हो गया था फिर भी जिसे जो समझना हो सो समझे !
     इसी ज्योतिष के विषय में और भी बहुत कुछ जानने लिए हमारा ब्लॉग -ज्योतिष विज्ञान अनुसन्धान भी देख सकते हैं । 

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